चैन आए मेरे दिल को दुआ कीजिए...

इक चैन ही ना मयस्सर मेरे दिल को कभी,
यूं बहलाने के, फुसलाने के तरीके बहुत हैं।
पिछला पूरा हफ्ता सुपर स्टार के शोक से गमज़दा रहा, लबो-लुवाब ये रहा कि बाज़ार में आनंद फिल्म की सीडी कहीं नहीं मिल पाई। बीमार तो राजेश खन्ना काफी अरसे से थे, पर ये उम्मीद नहीं थी कि यूं चले जाएंगे और अवाम को इस कदर रुला जाएंगे। पर साबित कर गए कि जिए तो सुपर स्टार की तरह, दुनिया को अलविदा कहा तो सुपर स्टार की माफिक।
पर एक बात मुझे साल रही है वह है सभी का ‘पोसथोमस बिहेवियर’ यानि फैंस ने, फैमिली ने, अमिताभ बच्चन ने जो किया, इसका आधा भी कहीं राजेश खन्ना के रहते किया होता तो शायद कुछ पल सुकून लम्हे उस ज़िंदगी को लंबा ना सही बड़ा तो जरूर कर जाते। पर ज़िंदगी और मौत तो ऊपर वाले के हाथ में है जहांपनाह! रामायण में भी जब रावण को आखिरी तीर लगता है और वह बस मरने को ही हैं, तब श्री राम, लक्ष्मण से कहते हैं कि रावण बड़े ही ज्ञानी, वेदों के ज्ञाता हैं, तुम इनसे ज्ञान प्राप्त करो और लक्ष्मण रावण के पैरों के पास खड़े होकर हाथ जोड़ कर विनती करते हैं तो रावण उन्हें ज्ञान देते हैं। पर यही निवेदन कहीं राम के कहने पर लक्ष्मण विनम्रता से रावण के चरणों में बैठ कर उसके जीते जी कर पाते तो लंका कांड कदाचित बदल सकता था।
बस यूं ही, राजेश खन्ना के जीते जी गर उन्हें जरा भी आभास हो जाता कि लोग अब भी उन्हें उतना ही चाहते हैं, उन्हें सुपरस्टार मानते हैं, उन पर मरते हैं, तो शायद थोड़ा चैन से मरते हमारे सुपर स्टार। फैमिली उन्हें थोड़ा और जल्दी संभाल लेती। डिम्पल कपाडिय़ा उनके हाथ को थोड़े ज्यादा महीनों पहले पकड़ लेती तो शायद ज्यादा देर तक पकड़े रख सकती थीं। अमिताभ कभी प्यार से थोड़ा झुक कर पहले उन्हें कह पाते कि सुपर स्टार सिर्फ आप ही हैं। ‘आनंद मैं तुम्हें यूं रोज-रोज मरते नहीं देख सकता’ तो शायद आनंद कभी मरते नहीं। पर ये भी बड़ा सत्य है कि हम सब ऊपर वाले के हाथ की कठपुतलियां हैं, किसका कितना रोल हैं कैसा रोल है, कब टाइम खत्म होगा, कब पैक अप होगा, सब तय है।
सांसें चल रही हैं तो, कितना करोड़ सांसें ले ली, कोई गिनती नहीं, पर नहीं है तो फिर एक भी नहीं। प्यार हमारे भीतर है, अथाह है, पर दिखने-दिखाने के लिए बड़ी हिम्मत मांगता है, कभी-कभी तो सिर्फ तभी दिखा पाते हैं, जबकि उसे दिख भी नहीं रहा जिसे दिखाया जा रहा है और नफरत इतनी भीतर छुपा कर रखते हैं पर जाने कब आंखों में दिखाई दे जाती है। हरकतों में बयां हो जाती है।
बहरहाल, एक दुआ है हमारे सुपर स्टार की चिर शांति के लिए। नफरत की दुनियां को छोड़ कर प्यार की दुनिया में
खुश रहना...।
-डॉ. पूनम परिणिता