वो मेरी स्कूल टाइम की दोस्त है वीना। उससे मिलने मैं उसके घर गई थी। बातें स्कूल, दोस्तों, बच्चों, घर, पति से होते हुए नौकरी तक पहुंची। नौकरी से तनख्वाह और तनख्वाह से इन्कम टैक्स, जैसे ही इन्कम टैक्स की बात आई, वो उछलकर बोली- अरे यार, रिटर्न वाला फार्म देना था और एकदम बेख़बर सा उसका हाथ मोबाइल फोन पर, मोबाइल में डायलड नंबर पर गया जिसमें ज्यादातर पहले नंबर पर पति का ही नंबर होता है, सो हरा बटन दबा दिया।
मुझे वीना की बात तो साफ-साफ सुन रही थी- सुनो, आपने मेरा वो फार्म जमा करा दिया, वो क्लर्क फिर टोकेगा कि मेरी वजह से बिल रुके पड़े हैं, *, आप कह रहे थे ग्यारह बजे तक भरकर, आप जमा भी करवा आओगे, *, अच्छा, एक बजे तक ज़रूर करवा देना। *, और चाय पी रहे हो क्या, *, अच्छा, अच्छा सुनो तो, आते हुए मशरूम के दो पैकेट लेते आना..... मैंने मटर निकाल रखे हैं। *, एक मिनट, वो ड्राइक्लीन वाले से, *, इसके बाद दरअसल डिस्कनेक्ट की टूं टूं टूं बज गई थी।
अब जरा जहां स्टार बने हैं, वहां वीना के पति के जवाब पढ़े, नहीं, हां, अच्छा ठीक है, ठीक है, मैं करता हूं, थोड़ी देर में। वीना ने फेस पर स्माइल लाने की कोशिश करते हुए कहा कि कट गया शायद। चल तू और सुना। थोड़ी बेचैनी थी उसे, और मुझे भी..... कि क्यूं, क्यूं मोबाइल शायद कट जाता है। मुझे इस तरह के तमाम संवाद याद आ गए। इधर से किए गए कॉल्स, मसलन.... बस यूं ही कर लिया था, बोर हो रही थी.... या फिर बेटे के चार्टस ले आना आते हुए। मां जी की पीली वाली गोलियां खत्म हो गई हैं। वो चाट मसाले वाला पैकेट ले आओगे क्या, वो जो आपको पकौड़ों पर डालकर खाना पसंद है। आज थोड़ा जल्दी आ जाओगे क्या? मिसेज वर्मा के यहां कीर्तन है, तीन बजे तो शुरू हो जाएगा।
और उधर से आते जवाब, जिनमें बड़े से बड़ा जवाब छह शब्दों का होता है, ‘मैं मीटिंग में हूं, फिर करता हूं।’ वरना दो शब्दों में कॉल समाप्ति की घोषणा, ठीक है। और अगली, चल ठीक है, के बाद तो फोन शायद कट जाता है। दरअसल इन संवादों से आज तक कोई नहीं बच पाया है और न ही बच पाएगा। इस पाती के माध्यम से मोबाइल के उस तरफ वाले कान को सुनाना चाहती हूं, बस कुछ बातें। सबसे पहली बात तो ये कि मैंने अपनी लाइफ में आपके सिवा किसी को यह अधिकार नहीं दिया कि वो मेरे घर, बच्चे और मुझ से जुड़ी किसी बात के बारे में सोचे। इन सबका ख्याल रखने की जिम्मेवारी मैं सिर्फ आप से बांट सकती हूं। फिर वो चाहे चिंटू की पेंसिल हो या बाऊजी का च्यवनप्राश।
मैं जानती हूं कि मेरी हर परेशानी का हल सिर्फ आपके पास है। और खासकर छोटी-छोटी परेशानियों का, मटर के साथ आज आप पनीर खाना चाहते हैं या मशरूम, ये, सिर्फ आप से बेहतर कौन बताएगा? आते हुए, एक और एक्सट्रा चीज तो इसलिए मंगा ली जाती है कि कहीं कल फिर से आपको फोन न करना पड़े। और फिर भी इसलिए फोन करना पड़ जाता है कि एक चीज तो मंगाना भूल ही गई थी।
दरअसल, आपके एक बार, ठीक है कहने से ही मेरी सारी टेंशन खत्म हो जाती है, ये भी जानती हूं कि इसके बाद आपकी टेंशन शुरू हो जाती है। पर मैं ये अकेले सहन नहीं कर पाती और बस अपने आप ही हाथ मोबाइल पर, फिर डायलड नंबर और सबसे ऊपर आपका ही नंबर तो रहता है। पर आप नहीं जानते कि मेरी दुनियां इतनी सी ही है। आप, आपका नंबर, मटर मशरूम की सब्जी, बच्चे की पेंसिंल, ड्राइक्लीन वाले से...और वो तमाम बातें जिनके लिए मैं आपको फिर फोन करूंगी।
-डॉ. पूनम परिणिता
मुझे वीना की बात तो साफ-साफ सुन रही थी- सुनो, आपने मेरा वो फार्म जमा करा दिया, वो क्लर्क फिर टोकेगा कि मेरी वजह से बिल रुके पड़े हैं, *, आप कह रहे थे ग्यारह बजे तक भरकर, आप जमा भी करवा आओगे, *, अच्छा, एक बजे तक ज़रूर करवा देना। *, और चाय पी रहे हो क्या, *, अच्छा, अच्छा सुनो तो, आते हुए मशरूम के दो पैकेट लेते आना..... मैंने मटर निकाल रखे हैं। *, एक मिनट, वो ड्राइक्लीन वाले से, *, इसके बाद दरअसल डिस्कनेक्ट की टूं टूं टूं बज गई थी।
अब जरा जहां स्टार बने हैं, वहां वीना के पति के जवाब पढ़े, नहीं, हां, अच्छा ठीक है, ठीक है, मैं करता हूं, थोड़ी देर में। वीना ने फेस पर स्माइल लाने की कोशिश करते हुए कहा कि कट गया शायद। चल तू और सुना। थोड़ी बेचैनी थी उसे, और मुझे भी..... कि क्यूं, क्यूं मोबाइल शायद कट जाता है। मुझे इस तरह के तमाम संवाद याद आ गए। इधर से किए गए कॉल्स, मसलन.... बस यूं ही कर लिया था, बोर हो रही थी.... या फिर बेटे के चार्टस ले आना आते हुए। मां जी की पीली वाली गोलियां खत्म हो गई हैं। वो चाट मसाले वाला पैकेट ले आओगे क्या, वो जो आपको पकौड़ों पर डालकर खाना पसंद है। आज थोड़ा जल्दी आ जाओगे क्या? मिसेज वर्मा के यहां कीर्तन है, तीन बजे तो शुरू हो जाएगा।
और उधर से आते जवाब, जिनमें बड़े से बड़ा जवाब छह शब्दों का होता है, ‘मैं मीटिंग में हूं, फिर करता हूं।’ वरना दो शब्दों में कॉल समाप्ति की घोषणा, ठीक है। और अगली, चल ठीक है, के बाद तो फोन शायद कट जाता है। दरअसल इन संवादों से आज तक कोई नहीं बच पाया है और न ही बच पाएगा। इस पाती के माध्यम से मोबाइल के उस तरफ वाले कान को सुनाना चाहती हूं, बस कुछ बातें। सबसे पहली बात तो ये कि मैंने अपनी लाइफ में आपके सिवा किसी को यह अधिकार नहीं दिया कि वो मेरे घर, बच्चे और मुझ से जुड़ी किसी बात के बारे में सोचे। इन सबका ख्याल रखने की जिम्मेवारी मैं सिर्फ आप से बांट सकती हूं। फिर वो चाहे चिंटू की पेंसिल हो या बाऊजी का च्यवनप्राश।
मैं जानती हूं कि मेरी हर परेशानी का हल सिर्फ आपके पास है। और खासकर छोटी-छोटी परेशानियों का, मटर के साथ आज आप पनीर खाना चाहते हैं या मशरूम, ये, सिर्फ आप से बेहतर कौन बताएगा? आते हुए, एक और एक्सट्रा चीज तो इसलिए मंगा ली जाती है कि कहीं कल फिर से आपको फोन न करना पड़े। और फिर भी इसलिए फोन करना पड़ जाता है कि एक चीज तो मंगाना भूल ही गई थी।
दरअसल, आपके एक बार, ठीक है कहने से ही मेरी सारी टेंशन खत्म हो जाती है, ये भी जानती हूं कि इसके बाद आपकी टेंशन शुरू हो जाती है। पर मैं ये अकेले सहन नहीं कर पाती और बस अपने आप ही हाथ मोबाइल पर, फिर डायलड नंबर और सबसे ऊपर आपका ही नंबर तो रहता है। पर आप नहीं जानते कि मेरी दुनियां इतनी सी ही है। आप, आपका नंबर, मटर मशरूम की सब्जी, बच्चे की पेंसिंल, ड्राइक्लीन वाले से...और वो तमाम बातें जिनके लिए मैं आपको फिर फोन करूंगी।
-डॉ. पूनम परिणिता