जश्न-ए-महंगाई


एक पुराना गाना है, धीरे-धीरे बोल कोई सुन न ले। तो जनाब महंगाई का जमाना है, सो धीरे-धीरे बोलिए। या बेहतर होगा कि कुछ न बोलिए। आपको बोलने की जरूरत ही क्या है? अपने अर्शशास्त्रीय प्रधानमंत्री बोल रहे हैं ना। इनकी भी अजीब मुसीबत है। बोलें तब मुश्किल और न बोलें तब भी मुश्किल। महंगाई पर उन्होंने कहा है कि महंगाई का बढऩा आर्थिक प्रगति की निशानी है। चूंकि लोगों की आय बढ़ी है, इसलिए व्यय क्षमता बढ़ी है। सो, संपन्नता बढ़ रही है। गोया कि सरकार ने कुकिंग गैस के दाम बढ़ा दिए हैं, फिर भी आप गैस पर बनी रोटी ही खा रहे हैं तो यकीनन आपकी क्षमता तो है ही। पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ा दिए हैं, फिर भी आप स्कूटर और कार से दफ्तर-बाजार जा रहे हैं। तो निश्चित महंगाई का आप पर असर कहां है? 
तो जनाब सरकार तो आपकी अमीरी को आखिरी पैमाने तक तौलेगी। फिर अब 32 रुपए गरीब की हैसियत तय करने के बाद गरीब बचे ही कितने हैं हिंदुस्तान में? और इस हिसाब के बाद झुग्गी वालों ने अपने आपको मध्यम वर्ग और काम वाली बाइयों ने उच्च मध्यम वर्ग घोषित कर दिया है। बस मुसीबत तो हम जैसों की हुई है जो हर वर्ग से बाहर हो गए हैं। जब महंगाई, पेट्रोल और गैस बढऩे ने कारणों और परिणामों पर खोज करने की बात आई तो एक कारण मुझे लगा कि इसमें पड़ोसी ताकतों का हाथ है। जानती थी कि आप पाकिस्तान और चीन पर शक करेंगे, लेकिन मैं तो बस अपनी पड़ोसन मिसेज वर्मा की बात कर रही थी। पिछले दिनों उन्होंने भी स्कूटर ले लिया है। और इस प्रकार मेरी व आप सबकी पड़ोसी ताकतों को मिलाकर तकरीबन सत्तर प्रतिशत वाहनों में इज़ाफा हुआ है। एक समय था जब नारी शक्ति कहीं बाहर जाने पर भाई, पिता या पति पर निर्भर करती थी। और वे अपने दफ्तर, काम या पढ़ाई का बहाना बनाते हुए उनका बाहर जाना कम से कम दो-तीन बार तो ज़रूर टाल दिया करते थे। फिर या तो उस काम की जरूरत ना रहती या भुला दिया जाता। 
मगर अब दुर्गा स्वरूपा नारी अपने स्वयं के स्कूटर,स्कूटी रूपी शेर पर निकलती है और सारा दिन सड़कों पर पेट्रोल फूंकती नकार आती है। और ये शेर लगभग हर घर की गैराज में अपनी अदद जगह बनाए हुए हैं। लेकिन खबरदार जो पेट्रोल बचाने की मुहिम के चलते इनके वाहनों पर रोक लगाई। फिर गैस बचाने के तहत घर में अन्न नहीं पकाएंगी और अगले आप सब घर से बाहर नकार आएंगे, टोपी लगाए, ‘मैं अन्ना हूं।’ अब महंगाई के परिणामों पर गौर करें। जैसा कि प्रधानमंत्री जी ने कहा है महंगाई से संपन्नता बढ़ी है तो कौन ऐसा मूर्ख होगा जो अपनी समृद्धि पर रोएगा। तो महंगाई का रोना छोडि़ए और भविष्य में और जोर-शोर से होने वाली समृद्धि का जश्न मनाइए।
डॉ.पूनम परिणिता