ज़िंदगी रोज नए रंग दिखाती है मुझे...

कल मेरा जन्मदिन था। ये जीवन का वो मौसम है, जब कड़ी धूप चमक कर जा चुकी है और सूरज हल्का हो रहा है, पर इसने अपना सुनहरीपन अभी खोया नहीं है। वरन, बड़ा और सिंदूरी लग रहा है। सांझ होने को है, पर रात अभी काफी दूर है। हल्की सुहानी बयार बह रही है। मौसम ऐसा है कि बाहर, अंदर हर जगह अच्छा लग रहा है।
मुझे अपनी ये अवस्था पसंद आ रही है। अपने सफेद बालों का गहराना अच्छा लग रहा है, फिर उन्हें रंग से छुपाना भा रहा है। ये उम्र के साथ लुका-छिपी खेलने सा है। मुझे अपने चेहरे और गर्दन पर आती अतिरिक्त तहें अच्छी लगती हैं, मैं इन्हें मसाज देकर पाल रही हूं, उस वक्त के लिए जब मेरे बच्चे के बच्चे इन्हें हिलाकर गुदगुदाएंगे। मुझे अपनी आंखों के इर्द-गिर्द के घेरे पसंद हैं। ये मुझे मेच्योर लुक दे रहे हैं। अपनी तमाम नादानियों के बावजूद बस इनकी वजह से कुछ समझदार सी लगने लगी हूं। अपनी उम्रदराजी मुझे एक अलग तरह का सुकून दे रही है। एक अजीब सी सुरक्षा भावना। मैं खुद से जुड़ी हर चीज़ का पूरा-पूरा आनंद ले रही हूं। भगवान की इस नेमत का मज़ा ले रही हूं।
बेटे की हिंदी की बुक में सुमित्रा नंदन पंत की एक कविता है-‘मैं सबसे छोटी होऊं।’ बचपन के बारे में है। हां, बचपन को याद करना सुखकर है, पर बड़े होना सपनों के पूरे होने जैसा है। मंदिर में वो बच्चा कल भी मिला, जो मुझे दो साल पहले मिला था। वो अपनी छोटी सी साइकिल चला रहा था। मैंने उसे कहा-आप मुझे अपने पीछे बैठा लो। उसका जवाब था-आंटी, जब आप छोटे हो जाओगे न, तब मैं आपको पीछे बैठाकर साइकिल चलाऊंगा। मुझे उसकी बात बड़ी प्यारी लगी। ये तुतलाती सी बोली की बात बड़ी गहरी थी। बच्चे जब बड़े हो जाएंगे, तब हम छोटे हो जाएंगे। फिर वो हमें पालेंगे, ले जाया करेंगे इधर-उधर। बस प्यार दरमियान रहे, फिर सब अच्छा होता है। सब सुहाना होता है। बड़े होना भी और छोटा होना भी।
उम्र की इस दहलीज पर मैं खुद में नई-नई चीज़ें खोज रही हूं। ये, लिखना भी मुझे इस उम्र का एक उपहार है। बस अभी ही मैंने पाया कि मैं लिख सकती हूं। और आप सबका प्यार और कॉल्स बताते हैं कि अच्छा लिख रही हूं। मैं वक्त के इस उपहार और आपके प्यार से खुश हूं। रिटर्न गिफ्ट के तौर पर कुछ और बेहतर लिखने की कोशिश करूंगी। बस ज़िंदगी में उन सब प्यारी चीजों, लोगों का साथ रहे जिन्हें मुझसे हर हाल प्यार है। मेरी तमाम कमियों के बावजूद, मेरी सारी असफलताओं के बाद भी, बस उन्हें मेरे, मेरे होने से प्यार है। बस ईश्वर से यही प्रार्थना है-
तेरा-मेरा साथ रहे.... तेरा-मेरा साथ रहे
धूप हो छाया हो.... दिन हो कि रात रहे
-डॉ. पूनम परिणिता