गिव मी सम सन शाइन,सम रेन!

पिछले दिनों की बात,जब मैं फिल्म देखने गई थी। हल्की से कुछ ज्यादा ही ठंड थी। इतनी कि हाथ बार-बार जेब से बाहर निकाले जाने पर बुरा मान रहे थे,फिर एक-दूसरे से रगड़ कर अपना गुस्सा भी दिखाए देते थे। वहीं मैंने,बाहर ही, दो स्कूल बोर्डिंग लड़कियों को देखा, स्कूल यूनिफार्म में जो अच्छी लग रही थी। ब्राउन ब्लेजर और घुटनों से चार इंच ऊंची स्कर्ट। सर्द ठंडी हवा उन्हें तो साइड से क्रॉस कर जाती, मुझसे सीधी टकरा रही थी, शायद इसलिए भी सर्दी बढ़ती जा रही थी। उसके बाद वो मुझे दिखाई नहीं दी।
फिर बाद में वो मुझे हाल में दिखाई दीं, मुझसे तीन सीट आगे की रो में बैठी थीं। फिल्म मिस्ट्री थी, सो मैं उसमें खो गई। वो तो इंटरवेल के समय मुझे आसपास का भान हुआ तो मैं उठकर उनकी सीट तक जा पहुंची। हाय, मैं पूनम परिणीता..., हैलो..., दोनों ने मुझसे हाथ मिलाया। आपका नाम..., आई...म... मनीषा, दूसरी वाली ने अलबत्ता अपना चेहरा ब्लेजर के कॉलर में छुपाने की कोशिश करते हुए कहा कि मैं काजल। मैं यहां सही नाम इसलिए दे रही हूं क्योंकि जानती हूं, स्मार्ट जनरेशन ने नाम खुद ही मुझे बदल कर बताए होंगे। आज स्कूल नहीं है क्या? मेरा अगला प्रश्न था। वो...बंक किया है। अच्छा, तो कैसा लग रहा है, इज इट फस्र्ट एक्सपीरियंस? यह..., दोनों कहते हुए अपना उत्साह छुपा सा गई। सो, इन्जोयड मूवी एन्ड फस्र्ट एक्सपीरियंस।
नो...मनीषा ने कहा, अच्छा नहीं लग रहा। हम्म, मैं अंदर से इस बात पर सहमत नहीं हुई थी। घर पर किसी को पता है कि आप लोग यहां हैं। नहीं...। पर मम्मी को बता देंगे जाकर। अच्छा... कैसा लगेगा मम्मी को जान कर कि, बेटी ने उनका विश्वास तोड़ा है। मम्मी तो कभी एक सहेली के पास फोन करके वेरीफाई करने की कोशिश करें तो आसमान सर पर उठा लेती हो ना, कि मम्मा आप मेरी जासूसी मत किया करो। वाय डोन्ट यू ट्रस्ट मी। तो, आज ये सुन कर मम्मी नाराज नहीं होगी? मम्मी को पटाना आता है हमें, मना लेंगे। लगभग बेशर्मी से कहा था मनीषा ने।
अच्छा एक बात बताओ, अगर आते-जाते रास्ते में, कोई मिसहैप हो जाए, या यहां हाल में कोई आपसे बदतमीजी कर बैठे तो। सुना है, पिछले दिनों अपने यहां हिसार में दो लड़कियों को सरेआम काट डाला गया है। हां, सुना तो है... इस बात पर वो थोड़ा सहमी जरूर थी। बोली कुछ नहीं। अच्छा, फस्र्ट एक्सपीरियंस के नाम पर और क्या-क्या ट्राई करना चाहती हो, (हालंकि मैं खुद सोच रही थी, कि कहीं इन्होंने राक स्टार फिल्म वाली हीरोइन की फेहरिस्त गिनवा दी तो), नहीं... कुछ नहीं। ये भी आगे से नहीं करेंगे।
अब ये झिझक थी, डर था या फिर मुझे वहां उठाने के लिए रिलक्टेन्ट एटीट्यूड, ये मैं जान नहीं पाई। पर फिर भी, स्मार्ट जनरेशन की मम्मियों को थोड़ा स्मार्ट बनने की जरूरत तो है। बच्चियों से प्यार से, गुस्से से, मित्रता से, उनकी दिनचर्या, दोस्तों, स्कूल की एक्टिविटीज के बारे में पूछती रहें। थोड़ी जासूसी जरूर करें। इतना धोखा बच्चों को जरूर दें, जितना वो आपको दे रहे हैं। गिव मी सम सन शाइन, गिव मी सम रेन। इसके मायने थोड़े बदल दें। प्यार की बारिश की बारिश के साथ, थोड़ी गुस्से की धूप भी जरूरी है। बहुत बार ज़िंदगी दूसरा चान्स नहीं देती। जैसे नहीं दिया हमारी हिसार की दो बच्चियों को।
मुझे लगता है ज़िंदगी रहते, थोड़ा सा अन्याय कर लें हम अपने बच्चों के साथ, उनकी बेहतरी के लिए ताकि ज़िंदगी के बाद, न्याय के लिए भटकता ना रहना पड़े।
-पूनम परिणिता