ना
आज कविता ना लिख पाऊगी
कुछ भी जो लिखना चाहूगी
फिर मुंबई ही याद आएगी
वो मुम्बई जो मेरी आखों में बसी है
सबकी आखों में बसती है
पहले पहले प्यार सी
मैने पहली बार उसे देखा था
जब हमारी शादी हुई
ख्वाबों की तामीर सा वो शहर
जाने तमन्नाए वहाँ पूरी होती है या वहाँ शुरु होती है
गेट वे आफ इंडिया और ताज का वो संगम
वहाँ से उठ कर आने को किस का दिल करता है
दिल आज खबरो से दहला हुआ है
तभी तो कविता को आज बस माध्यम बना
पूछना चाहती हूँ ,कैसी है हमारी मुंबई
कहीं ज्यादा चोट तो नहीं आई
हम तो दूर है आप लोग उसका ध्यान रखना
कहना सब ठीक हो जाएगा
और इसमें कविता मत ढूढना
कहीं नही मिलेगी ....।