'‘कविता अभी बाकी है’'

आज मौसम अच्छा है,
और आपको इन्तजार भी है !
एक सुन्दर कविता आएगी क्या ?
बाहर टिप-टिप बारिश हो रही है,
और कविता है कि भीतर कहीं सो रही है !
चलुं कुछ देर बरिश में,
थोङे भाव आने दूं कवि मन में,
क्या जाने निर्झर बुंदें,
क्या सुना जाएं !
और खोले किवाङ……..
आया एक ठंडी भीगी हवा का झोका,
भिगो गया तन मन को !
डाल दिया है खुद को इस बयार में….
भीगी खूब भीगी….
ले लिया मजा बारिश का !
पर कविता ?
वो तो अभी बाकी है मेरे दोस्त !
क्या मुझे पतझङ का इन्तजार है ?…………….