जाने क्या तूने कही...

'जाने क्या तूने कही...बात कुछ बन ही गई।' दरअसल ये गुरुदत्त और वहीदा रहमान पर फिल्माया शोखियों और नाज़ोअंदाज की अदावत वाला हिंदी गीत है। पर मेरे इंडोनेशिया प्रवास के दौरान ये बार-बार नए रूप में सामने रहा था। आपसी भाषा साधारण बातचीत में बार-बार आड़े रही थी। मैं कुछ कहती, वो कुछ और समझते। पर ज्यादातर और कुल मिलाकर बात बन ही जाती।
वहां ज्यादातर मांस परोसा जाता है। शाकाहारी भोजन मिलना वहां दुविधा रही, इसलिए कोई भी चीज खाने से पहले मैं उसके इनग्रेडिंटस के बारे में ज़रूर जान लेती। यूं ही एक रेस्टोरेंट में बैठे तो खाने के बाद कुछ ठंडा लेने की चाह में एक कोल्ड कॉफी ऑर्डर की। तब उसने पूछा, ‘यू वांट इट विद सु-सु।बेसाख्ता मेरे मुंह से नो-नो निकला। तभी साथ वाली इंडोनेशियन फ्रेंड ने कहा-आई थॉट यू लाइक सु-सु। यसटरडे यू एड सु-सु इन टी। मैंने कहा-दैट वाज़ मिल्क। वो मुस्कराई। वेटर जाने के लिए मुड़ चुका था, मैंने ज़ोर से आवाज़ लगाई-एक्सयूज़ मी, डोंट फोरगेट टू एड सु-सु टू माई कॉफी।
वहां कुछ घंटे सेलाटीगा की यूनिवर्सिटी के इंगलिश डिपार्टमेंट की सीनियर लेक्चरर पूरवंती के घर बिताए।  उनकी छह वर्षीय बेटी एडन हमारी भाषा को समझ पाने से परेशान थी। मैंने उससे बातचीत की कोशिश में उसकी इंगलिश की बुक मंगवाई। उस किताब के शुरू में कुछ करक्टर बने थे। मैंने इशारों से पूछा तुम्हें इनमें से कौन पसंद है। उसने उंगली रखकर बताया कि मैक्स मंकी। फिर मैंने उसे कागज़ पर मैक्स की तस्वीर बनानी सिखाई। फिर तो वो इशारों-इशारों से मेरे पीछे ही पड़ गई और हमने उसकी किताब के सारे करेक्टरस के चित्र बना डाले।
बच्चों के लिए इतना अपनापन काफी होता है।  उसके बाद खाने के समय मेरे पीछे ही घूमती रही, कागज़ और पैन लिए। खाने के समय जब उसकी मम्मी ने उनकी भाषा में पूछा कि क्या खाएगी। उन्होंने मुझे बताया कि ये कह रही है कि मैं सिर्फ वह खाऊंगी जो पूनम आंटी खाएंगी और आज मैं इनके साथ ही सोऊंगी। मुझे बड़ा अच्छा लगा।
भाषाएं कब भावनाओं को बांध पाती हैं, जाने के वक्त वो काफी उदास हो गई। और बच्चों की तरह गली के नुक्कड़ तक हाथ हिला-हिलाकर मुझे अलविदा कहती रही। उसकी आंखें कुछ नम सी थीं। पता नहीं इंडोनेशियन भाषा में आंसुओं को क्या कहते हैं, लेकिन वो वहां भी खारे और गीले होते हैं। तेरी माकासी धन्यवाद को कहते हैं। अभी इतना ही। अगले कुछ लेखों में इंडोनेशिया की संस्कृति पर भारत के प्रभाव के बारे में बातचीत करेंगे।
डॉ. पूनम परिणिता