कहीं दूर जब दिन...

कभी किसी अकेली शाम को, हौले-हौले बजते इस गीत को सुन कर कैसा लगता है? जिंदगी के तमाम रंग दिखते हैं इस गीत में। अगर कहीं कोई जिंदगी से बिल्कुल बेपरवाह है तो उसे याद आता है, कैंसर से हंस कर लड़ता हुआ ‘बाबु मोशाय’ वाला आनंद। पिछले हफ्ते सैर करते हुए निशा आंटी मिल गईं। बात करते-करते उन्होंने अपने भांजे के बारे में बताया जिसे पिछले साल पेट में दर्द हुआ था और तीन महीने बाद रिपोर्ट में कैंसर का खुलासा हुआ,फिर उन्होंने उसकी दिन-ब-दिन गिरती हालत, परिवार की परेशानी और आखिर में बताया कि अब तो वो दवाइयों को भी रिसपोन्ड नहीं कर रहा है। रात को बहुत देर तक मैं उसके बारे में सोचती रही। मां का इकलौता बेटा, एक छोटी सी बच्ची का पिता, इतनी दर्दनाक बीमारी। क्या सोचता रहता होगा, बिस्तर पर लेटे। सोचते-सोचते जाने कब आनंद फिल्म का नायक हावी हो गया। तभी कहीं मैंने भी उससे मिलकर आने की सोची। उसके बारे में लिखने की, सोचा था पूछूंगी बातों ही बातों में, अंदर ही अंदर क्या फील करता है अपने बारे में, अपनी मां के बारे में, बच्ची और पत्नी के भविष्य के बारे में। सबसे ऊपर अपने बीमार होने के बारे में। ये भी सोचा ढेर सारी पॉज़ीटिव बातें करूंगी उससे, जिंदगी के हर पल को जीने के बारे में बताऊंगी। पर उसी रात करीब 11 बजे मुझे अचानक तेज बुखार हो गया। कारण कोई न था, ना ही कोई खांसी जुकाम। पर तेज बुखार और बदन में तेज दर्द महसूस कर रही थी। तीन दिन तक एंटीबॉओटिक का कोर्स, पर बुखार में कोई आराम नहीं। जोड़ों में अलग दर्द शुरू हो गया और भूख लगनी बंद हो गई। पूरी तरह चिड़चिड़ा गई मैं अपनी हालत से। बुखार को पांचवां दिन था। मैं सो रही थी, तभी बेटे ने बताया कि निशा आंटी मिलने आई हैं। मैंने सोते-सोते ही कहा मुझे तंग मत करो, कह दो मम्मी सो रही हैं। ना किसी से मिलने का मन था, ना बात करने का। ना मेरा हाल कोई पूछे, न अपना दर्द बताऊं। बस मुझे सोना था कि ये दिन बीत जाए कि ये बुखार अपने दिन पूरे करके खत्म हो जाए। निशा आंटी जा चुकी थीं। तभी मुझे उनके भांजे की याद आई। मैं जो उसकी कहानी लिखने चली थी, बुरा लगा मुझे खुद पर, अपने पॉजीटिव एटिट्यूड पर। कितना दर्द, कितनी बेचैनी, कितनी चिंताएं अपने बेहद बीमार शरीर पर समेटे, क्या वह कोई बात कर पाता, क्या कोई उसे आर्ट ऑफ लीविंग समझा पाता कि हर पल जी लें कि गहरी लंबी सांसों से आराम आता है। मुझे फिर आनंद याद आ रहा है और अब सिर्फ राजेश खन्ना की बेहतरीन एक्टिंग पर ध्यान गया। क्या ऐसी बीमारी से लड़ता कोई आनंद हो पाता होगा। क्या कोई आनंद हो पाएगा।
मेरे साथ आप भी प्लीज दुआ करें उसके स्वास्थ्य के लिए।
डॉ.पूनम
परिणिता